Friday, 10 July 2015

मेरा यही अंदाज़ इस ज़माने को खलता है....

मेरा यही अंदाज़ इस ज़माने को खलता है....!

की ये साला इतना टूटने के बाद भी सीधा कैसे
चलता है....!!

No comments: